सरदार का काश्मीर सम्बधित सपना.

Author – Kuldip Gupta

कहा जा रहा है कि धारा 370 को निरस्त किये जाने से सरदार पटेल का सपना पूरा हो गया है।
पटेल ने काश्मीर के विषय में क्या क्या सपने देखे थे इस पर एक चर्चा हो जाये तो शायद उनके सपने के पूरे होने की बात समझ में आ जाये।
प्रथम तो काश्मीर का भारत से विलय के विषय में पटेल कदाचित भी आग्रही नहीं थे। पटेल ने कभी भी काश्मीर की समस्या के निदान के सम्बन्ध में अपने विचार विस्तार से नहीं रखे।

हां कुछ पत्र व्यवहार एवं कुछ संवादों में पटेल ने छिट पुट अन्दाज में अपने विचार जरुर रखे थे। क्या उन विचार बिन्दुओं को जोड़ कर किसी सपने का रेखा चित्र बनाया जा सकता है, जिससे इस बात की पुष्टि हो जये कि वास्तव में धारा 370 के निरस्त हो जाने से पटेल का सपना पूरा हो गया।
जून 1947 यानि की स्वाधीनता के दो माह पूर्व माउन्ट्बैटन ने काश्मीर के महाराजा हरि सिंह से मुखतिब हो कहा था कि सरदार पटेल ने उनसे कहा है कि अगर काश्मीर पाकिस्तान में विलय होना चाहे तो भारत इसे गैर मैत्री सम्मत कदम नहीं समझेगा। (मेनन:: Integration of states)
पटेल ने अपनी स्थिति साफ करते हुये कहा था कि यह हरि सिंह की इच्छा पर निर्भर करेगा कि काश्मीर किस देश के साथ मिलना चाहे। हां जूनागढ में पाकिस्तन के हस्तक्षेप के पश्चात पटेल के विचारों में कुछ परिवर्तन अवश्य दिखाई दिया था।
पटेल ने जिन्ना को सुचित किया था कि अगर वह भारत को हैदराबाद में परेशान नहीं करे तो भारत काश्मीर के पाकिस्तान में विलय होने में कोई अड़चन नहीं डालेगा।

पटेल ने अपने एक पत्र (नेहरु को लिखे हुये) में काश्मीर का जिक्र करते हुये लिखा था कि::मैं नही समझता कि काश्मीर के सम्बन्ध में जो कुछ भी किया जा सकता था उस विषय में मैने कभी कोई कोताही की हो। मुझे कहीं से भी ऐसा कुछ नहीं प्रतीत होता कि मुझ में और तुम में काश्मीर के विषय में कहीं कोई मतभेद रहा हो। मुझे इस बात का अत्याधिक खेद है कि हमसे नीचे वाले लोगों को कुछ मतिभ्रम है कि हमारे और तुम्हारे अन्दर कुछ अत्याधिक बड़े ब्ड़े मतभेद हैं ।

पटेल के काश्मीर के एक अधिकारी को अपने एक पत्र में लिखा था कि,” नेहरु काश्मीर जा रहा है। वह शान्ति का दूत है एवं काश्मीर के विवाद को सम्मानित तरीके से सुलझाने के प्रयास हेतु जा रहा है। नेहरू हिन्दु है एवं काश्मीरी है। नेहरु एक सच्चा देशभक्त है एवं एक महान नेता भी है। उसके सारे काम देशभक्ति से प्रेरित होते हैं।

नेहरु ने 30 अक्तुबर 1947 में पटेल को एक पत्र में लिखा था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कुछ हिन्दु व सिक्ख शरणार्थी जो जम्मु पहुंच चुके हैं, उन्हें कांग्रेस, शेख अब्दुल्ला व जम्मु के मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध मिथ्या प्रचार के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि भारत ने सिक्ख सैनिकों को काश्मीर में रहने वाले मुस्लिम समुदाय को खत्म करने के लिये भेजा है और शेख अब्दुल्ला भी इस साजिश में शामिल हैं।
अब इन सारे विचार बिन्दुओं को जोड़ने से काश्मीर के सम्बन्ध में पटेल के सपने का कोई खास रेखाचित्र मुझे तो नहीं मिलता।

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